कोरोना महामारी के कारण खराब माली हालत का सामना कर रहे लोगों को अब साइबर ठग ऑनलाइन लोन के झांसे में फंसाने लगे हैं। माली हालत खराब होने पर लोगों में लोन लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है। ऐसे में ठग आसानी से सस्ता लोन दिलाने का झांसा दे रहे हैं। राज्य साइबर थाना शिमला को इस तरह की कई शिकायतें मिली हैं, जिनमें लोन प्रोसेस करने के लिए फीस ली गई लेकिन न तो लोन पास हुआ और न कॉल करने वालों से संपर्क हो पाया।
इन शिकायतों के सामने आने के बाद साइबर क्राइम पुलिस ने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। यही नहीं, आनलाइन एप्स के जरिये लिए गए लोन को चुकाने के बाद भी कंपनियों के रिकवरी एजेंट से विभिन्न तरह के चार्ज न जमा करने पर दबाव बनाए जाने की भी शिकायतें सामने आई हैं।
एडिशनल एसपी साइबर क्राइम नरवीर राठौर ने बताया कि 484 लोन एप्स गूगल प्ले स्टोर पर भारत में कर्ज देने के लिए उपलब्ध है। जिसमें कई चीन के एप्स भी हैं, जल्द कर्ज पाने के लिए लोग इन एप्स पर आधार कार्ड नंबर, पैन, बैंक खाता जैसी निजी जानाकरी साझा कर रहे हैं। बाद में ये एप्स उन जानकारी के जरिये फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे हैं। राठौर ने बताया कि पांच तरीकों से सही और गलत ऐप्स को पहचाना जा सकता है। अगर आप कर्ज लेने के लिए कोई लोन एप्स से संपर्क करते हैं और वह आपके कर्ज चुकाने की आदत या सिबिल स्कोर को लेकर गंभीर नहीं तो यह खतरे का संकेत है क्योंकि सबसे पहले सिबिल स्कोर जुटाया जाता है।
अगर लोन एप आप पर एक तय समय सीमा के अंदर लोन के लिए आवेदन करने का दबाव बनता है तो यह सही नहीं है। अगर आपका ऋणदाता आवेदन, मूल्यांकन या क्रेडिट रिपोर्ट शुल्क के विस्तृत विवरण का खुलासा नहीं कर रहा है तो उस लोन एप से लोन लेने का फैसला तुरंत खत्म कर दे, साथ ही अगर आप लोन देने वाली ऐप की वेबसाइट पर जाते हैं और वह सुरक्षित नहीं दिखता है या किसी बड़ी कंपनी की वेबसाइट का कापी लगता तो समझ लें कि यह लोन की आड़ में फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए किया गया है। वहीं, किसी भी लोन एप से कर्ज लेने के पहले यह जानकारी जरूर जुटा लें कि उसके मालिकाना हक वाली कंपनी का कोई भौतिक पता है। अगर आपको कंपनी की वेबसाइट पर उसका कोई भौतिक पता नहीं दिखता है तो आप उससे लोन लेने के फैसले को बदल दें।
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